मुलायम सिंह यादव समाजवादी पार्टी के संस्थापक जिन्होंने अपने दम पर एक पार्टी को शिर्ष पर पहुँचाया, 3 बार के मुख्यमंत्री भी रहे देश के रक्षामंत्री भी रहे, नेता जी ने अपने जीवन में अनेक उतार चढ़ाव भी देखे पर अपनी काबिलियत और लोकप्रियता के चलते धरती पुत्र की उपाधि भी प्राप्त की, तो चलिए धरती पुत्र मुलायम सिंह यादव के बारे और थोड़ा जानते है
जन्म : 22 Nov 1939, Saifai
पिता : सुघर सिंह
मां : मूर्ति देवी
पुत्र : अखिलेश यादव
मृत्यु : 10 Oct 2022
मुलायम सिंह यादव के कुछ अनसुने किस्से :-
- नेता जी बचपन में अखाडा लड़ते थे
- नाटे कद के कारण लम्बे पहलवानो को भी चित कर देते थे
- पहली बार 14 साल की उम्र में जेल गए
- अखाड़े के दौरान उसका दाव चरखा बड़ा फेमस था
- आपातकाल में मुलायम सिंह यादव जेल भी गए
नेता जी का राजनीतिक सफर :-
मुलायम के राजनीतिक करियर की शुरुआत 1967 में हुई जब वे पहली बार विधायक चुने गए। मुलायम सिंह यादव को राम मनोहर लोहिया और राज नारायण जैसे महान राजनीतिक नेताओं ने सलाह दी थी,
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- 1967: में, वह उत्तर प्रदेश विधान सभा के सदस्य चुने गए।
- 1977: में, वह पहली बार उत्तर प्रदेश के राज्य मंत्री बने।
- 1989: में, वह पहली बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने।
- 1993: में, वह दूसरी बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने।
- 1999: में, वह संयुक्त मोर्चा गठबंधन सरकार के अंतर्गत भारत के रक्षा मंत्री बने।
- 1999: में, उन्होंने दो लोकसभा सीटों - संभल, कन्नौज से चुनाव लड़ा और दोनों ही सीटें जीतीं।
- 2003: में, वह तीसरी बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने।
- 2014: में, उन्होंने 16 वीं लोकसभा चुनाव के दौरान दो सीटों आज़मगढ़, मैनपुरी से चुना लड़ा और दोनों ही सीटों पर जीत दर्ज की।
- 2022: में गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में अंतिम सांस ली
मुलायम सिंह यादव के ऐसे फैसले जिसने देश की राजनीति में काफी उथल पुथल मचाए
- कार सेवकों पर गोली चलाने का आदेश (1967)
- जनता दल से अलग होकर बनाई समाजवादी पार्टी (1992)
- जब मुलायम ने बचाई मनमोहन सरकार (2008)
- कल्याण सिंह से हाथ मिलाकर भाजपा को चौंकाया (2003)
- अखिलेश को यूपी की सत्ता पर बैठाया (2012)
क्यों कहा जाता है धरती पुत्र मुलायम सिंह यादव :-
जसवंतनगर सीट पर 1968,1974 और 1977 में हुए मध्यावधि चुनाव में मुलायम को जीत हासिल हुई। सर्वहारा के हितों के लिए मुलायम सिंह ने आवाज उठाई और उन्हें धरतीपुत्र की उपाधि मिली तभी से उन्हें धरतीपुत्र के नाम से बुलाया जाने लगा।
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